भोजन कराने की जिद
सुबह-सुबह माँ पर झिड़का
माँ चुप रही
एक बूढ़े रिक्शा वाले को
स्टेशन जल्द न पहुंचाने पर
आँखे तरेरे और झल्लाया
वह चुप रहा
दफ़्तर में चपरासी के सलाम न ठोकने पर
किसी और बहाने उसे खूब फटकारा
वह चुप रहा
एक जरूरी बैठक रद्द हुई, अचानक
आयोजक को लताड़ा,फोन पर
वह भी चुप रहा
भोजन का समय
चपरासी आया, आँख तरेरे
कहा- साहब! बुला रहे है
छोड़ कर टिफ़िनबाक्स मैं दौड़ा-भागा
साहब ने आयोजक के सामने फटकार लगाई
मैं चुप रहा.....
रात देर हुई दफ़्तर में
सुनसान स्टेशन पर लौटा
वही बूढ़ा रिक्शा वाला
घर ले जाने से मना कर गया
मैं चुप रहा......
गली के आवारा कुत्तों का दहशत
और अमावस की काली रात
थका हारा पैदल ही घर ?
मैं चुप रहा.....
रुंधी गले से पुकारता रहा
सब सो चूके थे
अंधकार को चीरते एक आवाज़-
"सारा दिन कुछ खाया नहीं क्या"?
माँ आँखों से पूछती रही-
आंखे बचाते कौर उठाए
और मैं चुप रहा |
सुबह-सुबह माँ पर झिड़का
माँ चुप रही
एक बूढ़े रिक्शा वाले को
स्टेशन जल्द न पहुंचाने पर
आँखे तरेरे और झल्लाया
वह चुप रहा
दफ़्तर में चपरासी के सलाम न ठोकने पर
किसी और बहाने उसे खूब फटकारा
वह चुप रहा
एक जरूरी बैठक रद्द हुई, अचानक
आयोजक को लताड़ा,फोन पर
वह भी चुप रहा
भोजन का समय
चपरासी आया, आँख तरेरे
कहा- साहब! बुला रहे है
छोड़ कर टिफ़िनबाक्स मैं दौड़ा-भागा
साहब ने आयोजक के सामने फटकार लगाई
मैं चुप रहा.....
रात देर हुई दफ़्तर में
सुनसान स्टेशन पर लौटा
वही बूढ़ा रिक्शा वाला
घर ले जाने से मना कर गया
मैं चुप रहा......
गली के आवारा कुत्तों का दहशत
और अमावस की काली रात
थका हारा पैदल ही घर ?
मैं चुप रहा.....
रुंधी गले से पुकारता रहा
सब सो चूके थे
अंधकार को चीरते एक आवाज़-
"सारा दिन कुछ खाया नहीं क्या"?
माँ आँखों से पूछती रही-
आंखे बचाते कौर उठाए
और मैं चुप रहा |
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