माँ की आँचल में बंधी होती थी
खुशियों की फुलझरियाँ
कभी लाजेंस ,कभी आइसक्रीम
और कभी रोते चेहरे पर ममता की स्पर्श !
खुशियों की फुलझरियाँ
कभी लाजेंस ,कभी आइसक्रीम
और कभी रोते चेहरे पर ममता की स्पर्श !
हाँ, माँ याद आती है तुम्हारी बातें हर सुबह
और ढूंढ रहा हूँ बरबस तुम्हें तुम्हारी ही तस्वीरों में
इस शहर ने पिता के कंधे तो दिए है मुझे......
पर माँ कहीं खो रही है !
कल शायद ही मेरी भी तस्वीर
किसी चार दीवारी पर टंगी मिले
और 'माँ' सिर्फ कविता या ईश्वर की
प्रार्थना में सुनने को मिले........
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